बैगा के पर्यावास अधिकार पर 8 दिवसीय जागरूकता अभियान संपन्न।

lok sev
IMG-20251111-WA0031
previous arrow
next arrow

बैगा के पर्यावास अधिकार पर 8 दिवसीय जागरूकता अभियान संपन्न। स्थान – भाकुर पण्डरिया। दिनांक – 29/05/2025। पण्डरिया विकास खण्ड में दिनांक 20/05/2025 से 29/05/2025 के दौरान बैगाओं के पर्यावास अधिकार पर पिछले 8 दिनों से चलाए जा रहे जागरूकता अभियान का आज बैगा बसाहट ग्राम भाकुर में समापन हुआ।इस समापन कार्यक्रम में 20 बैगा बसाहटों के लगभग 129 पारंपरिक बैगा मुखियाओं ने भाग लिया।यह अभियान बैगाओं के पारंपरिक मुखियाओं तथा बैगाओं के पर्यावास अधिकार दावा प्रक्रिया में स्थानीय सहयोगी संस्था आदिवासी समता मंच द्वारा चलाया गया। इस अभियान की जानकारी देते हुए बैगाओं के प्रदेश अध्यक्ष श्री इतवारी राम मछिया ने बताया कि इस अभियान का मुख्य उद्देश्य बैगाओं को सरकार द्वारा दिए गए उनके पर्यावास से संबंधित विशेष अधिकार के विषय में बताना था और दावा प्रक्रिया में उनकी भूमिका से अवगत कराना था। आदिवासी समता मंच की अनिमा बनर्जी ने बताया कि इस 8 दिवसीय अभियान के दौरान पण्डरिया विकास खण्ड के 11 बैगा बसाहटों में पर्यावास अधिकार पर 13-14 गांव के क्लस्टर स्तरीय प्रशिक्षण शिविर सह जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किया गया जिससे पण्डरिया विकास खण्ड के सभी 110 बैगा बसाहटों में पर्यावास अधिकार पर बैगाओं का जागरूकता बढ़ाया गया तथा दावा प्रक्रिया में उनकी भूमिका पर समझ विकसित किया गया। पर्यावास अधिकार दावा प्रक्रिया में अबतक हुई तैयारी के विषय में जानकारी देते हुए सेहत्तर सिंह धुर्वे ने बताया कि संस्था द्वारा 110 बैगा बसाहटों में रह रहे सभी बैगाओ की सुची तैयार कर ली गई है तथा आने वाली पीढ़ियां इस पर्यावास अधिकार के अधिकार – धारक होंगे । संस्था के कार्यकर्ता हेमंत कुमार गढ़ेवाल ने बताया कि संस्था ने बैगाओ के पारंपरिक,समाजिक, आर्थिक तथा जल एवं वन संसाधनों पर उनके अधिकार तथा सांस्कृतिक धरोहरों, रीति – रिवाजों, धार्मिक आस्थाएं – मान्यताएं तथा जैव-विविधताओं का गांव वार दस्तावेजी करण कार्य पुरा कर लिया है। दशमी बाई बैगा ने बताया कि इस दस्तावेजी करण प्रक्रिया में बैगा महिलाओं के पारंपरिक अधिकारों को ही विशेष स्थान दिया गया है। संस्था के जोन्हू बैगा ने बताया कि सभी 110 बैगा बसाहटों का नजरी नक्शा तैयार कर लिया गया है। बैगाओं के पारंपरिक मुखिया गौठुराम बरंगिया ने बताया कि पर्यावरण मिलना अत्यंत जरूरी है कि इस अधिकार से अपने पर्यावास को टीकाकर तथा बचाकर रख पायेंगे और उनके पर्यावास पर भविष्य के किसी भी प्रकार के विनाश कारी शक्तियों तथा प्रभावों के खतरों से बैगा अपने पर्यावास को सुरक्षित रख पायेंगे जिससे निरंतर रूप से बैगा समाज अपनी सांस्कृतिक विरासत, मान्यताएं, रीति -रिवाजों तथा अपनी पारंपरिक आजिविका तथा जैव-विविधताओं और सामाजिक, आर्थिक अधिकारों के साथ रह पायेंगे। इस जागरूकता अभियान के समापन कार्यक्रम में उपस्थित आदिवासी समता मंच के शोध कर्ता डॉ.राजेश रंजन ने बताया कि बैगाओं के इस पर्यावास अधिकार दावा प्रक्रिया में छत्तीसगढ़ आदिम जनजाति विकास संचनालय तथा जिला स्तरीय वन अधिकार समिति का भरपूर सहयोग मिल रहा है। उन्होंने आगे बताया कि इस दावा प्रक्रिया में यह पुरी कोशिश की जार ही है यह दावा प्रक्रिया पूर्णतः छत्तीसगढ़ शासन द्वारा प्रकाशित वन अधिकार मार्ग दर्शिका तथा पी.वी.टी.जी. समुदाय के पर्यावास अधिकार विषय पर केंद्र सरकार द्वारा गठित ‘ पंडा कमेटी आन हेविटाट राईट्स’ द्वारा जारी दिशा निर्देशों तथा सिफारिशों के अनुरूप हो इस समापन कार्यक्रम में संस्था के कार्यकर्ता मनोज रठुडीया, अनिल धुर्वे, राजेश कुमार मानिकपुरी, अशोक मरावी तथा गांव प्रमुख रामु, संतराम,घिनवा,बजरु, धन सिंह,लक्ष्मण, हरिसिंह,बिसाहु, गोपाल सिंह, चिंता राम,घासिराम,बिरसु, मंगली बाई, अंधियारो बाई,जमनी,सुखीया बाई,सवनी बाई बैगा ने भी उपस्थित थे। समन्वयक आदिवासी समता मंच छ.ग. अनिमा बनर्जी, सेहत्तर सिंह धुर्वे

Related posts