
राष्ट्रीय राजमार्ग (NH 130B) पर शनिवार की शाम एक गंभीर सड़क दुर्घटना में घायल हुए युवक की जान इलाज के अभाव में चली गई। परिजनों की गैरमौजूदगी में सरकारी अस्पताल के डॉक्टर ने घायल को सीधे प्राइवेट अस्पताल रिफर कर दिया, जहां मोटी रकम की मांग पर इलाज में देरी हुई और देर रात युवक ने दम तोड़ दिया।घटना शनिवार शाम लगभग 4:30 बजे की है, जब बिनौरा मोड़ के पास तेज रफ्तार ट्रक ने बाइक सवार कुबेरकांत को टक्कर मार दी। हादसे में घायल का पैर बुरी तरह टूट गया और वह सड़क किनारे तड़पता रहा। मौके से गुजर रहे रिटायर्ड आर्मीमेन भरत ठाकुर ने प्राथमिक उपचार करते हुए भीड़ से स्कार्फ लेकर घायल के पैर में पट्टी बांधी और पुलिस को सूचना दी।पलारी थाना प्रभारी हेमंत पटेल व स्टाफ मौके पर पहुंचे, पर एम्बुलेंस नहीं आई। थक-हारकर उन्होंने एक मालवाहक वाहन से घायल को पलारी के सरकारी अस्पताल पहुंचाया। इसी दौरान परिजनों को सूचना दी गई।लेकिन चौंकाने वाली बात यह रही कि पलारी अस्पताल में ड्यूटी पर मौजूद डॉक्टर आदित्य वर्मा ने परिजनों की गैरमौजूदगी में ही घायल को सीधे प्राइवेट अस्पताल (श्रीराम अस्पताल, जिला मुख्यालय) रिफर कर दिया। जब परिजन पहुंचे तो उन्हें जिला अस्पताल में घायल नहीं मिला। बाद में पता चला कि वह निजी अस्पताल में भर्ती है, जहां इलाज शुरू करने से पहले 58 हजार रुपए की मांग की गई।परिजनों ने अनुरोध कर इलाज शुरू करने की बात कही और रुपयों का इंतजाम करने का आश्वासन दिया, लेकिन देर रात करीब 2 बजे युवक की मौत हो गई।इसके बाद जब परिजन शव लेने पहुंचे तो अस्पताल प्रबंधन ने 58 हजार रुपए का बिल थमा दिया। मीडिया के हस्तक्षेप पर अस्पताल ने 10 हजार जमा कर शव सौंपा।इस पूरे घटनाक्रम में डॉक्टर आदित्य वर्मा की भूमिका पर परिजनों ने गंभीर आरोप लगाए हैं। उनका कहना है कि डॉक्टर ने जानबूझकर मरीज को निजी अस्पताल भेजा, जबकि उसे जिला अस्पताल भेजा जाना चाहिए था।डॉक्टर का अजीब तर्कजब इस संबंध में डॉक्टर आदित्य वर्मा से फोन पर प्रतिक्रिया ली तो उनका कहना था — “मैं अस्पताल का वॉचमैन नहीं हूं जो देखता रहूं कौन मरीज को कहां ले जा रहा है। मरीज की हालत गंभीर थी, मैंने जिला अस्पताल रिफर किया और दूसरे मरीजों को देखने चला गया। किसी ने उसे प्राइवेट अस्पताल पहुंचा दिया, मुझे जानकारी नहीं है।”प्राइवेट अस्पतालों से कमीशन का खेल?सूत्रों के अनुसार, जिले के कई सरकारी अस्पतालों में मरीजों को जानबूझकर प्राइवेट अस्पताल रिफर करने की प्रवृत्ति सामने आ रही है। इन आरोपों के मुताबिक, कुछ डॉक्टर प्राइवेट अस्पतालों से कमीशन लेकर यह कार्य करते हैं। पीड़ित परिजन अक्सर भय या असहायता के कारण चुप रहते हैं।अब बड़ा सवाल यह है कि सड़क हादसे में घायल की मौत के बाद क्या प्रशासन दोषी डॉक्टर व संबंधित अस्पताल प्रबंधन पर कोई कार्रवाई करेगा या यह मामला भी अन्य मामलों की तरह ठंडे बस्ते में चला जाएगा ।


