कृष्णा पूसाम ब्लॉक अध्यक्ष सर्व आदिवासी समाज पंडरिया के द्वारा विभिन्न मागो को लेकर माननीय राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री ,राज्यपाल मुख्यमंत्री के नाम से ज्ञापन सौंपा
कृष्णा पूसाम ब्लॉक अध्यक्ष सर्व आदिवासी समाज पंडरिया के द्वारा विभिन्न मागो को लेकर माननीय राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री ,राज्यपाल मुख्यमंत्री के नाम से ज्ञापन सौंपा गया जिसे आदिवासी अधिकार और पहचान के लिए जन जागृति अभियान में प्रमुख मांगे पन्द्रह बिन्दु में है जिसमें समाज प्रमुख श्री प्रभु मसराम जी श्री कालेस धुर्वे जी, श्री अमरसिंह धुर्वे जी, श्री रामचंद जी, श्री मनीराम जी, श्री नेताम जी, सभी सम्मनित साथीगण उपस्थित रहे
1 माननीय राष्ट्रपति राष्ट्रपति भवनए नई दिल्ली भारत गणराज्य
2 माननीय प्रधानमंत्री भारत सरकार
3. माननीय राज्यपाल राजभवन रायपुर छत्तीसगढ़
4. माननीय मुख्यमंत्री छत्तीसगढ़ शासन अटलनगर नया रायपुर
15 निम्बर 2025 आदिवासी अस्मिताए अधिकार और पहचान के लिए जनजागृति अभियान में प्रमुख मांगे।
द्वारा – श्रीमान अनुविभागीय अधिकारी एवं दण्डाधिकारी पण्डरिया छत्तीसगढ़ सहित इस देश के मूलनिवासी आदिवासी आजादी के 79 साल बाद भी अपने अस्मिता संवैधानिक अधिकार और संस्कृति पहचान से वंचित है इसलिए अमर शहीद बिरसा मुंडा के जयंती को जनजागृति अभियान मनाते हुए पूरे प्रदेश में प्रदर्शन करते हुए निम्नांकित गंभीर विषयों पर अपनी बात इस देश और प्रदेश के शासन प्रमुख के सामने रखते है
1. आदिवासियों को वनवासीए जनजाति संबोधन करना बंद करें। आदिवासी समाज के शहीदोंए महापुरुषों एवं पुरखों को वनवासी और जनजाति बोल कर अपमानित करते है जबकि वे देश के आजादी के लिए लड़े है वे सब भी राजाए दिवानए जमींदार थे। अमर शहीद बिरसा मुंडा जी को राष्ट्रीय गौरव घोषित भारत रत्न दिया जाय।
2. आगामी जनगणना में देश के लगभग 16 करोड़ों आदिवासियों के लिए अलग धर्म “आदिवासी” कॉलम दिया जाए। राष्ट्रीय स्तर में आदिवासियों की संस्कृत पहचान मिल सकें।
3. बस्तर में नक्सल शांति वार्ता में ईनामी नक्सली से शासन हाथ मिलाकर समर्पण पुनर्वास कर रही है। लेकिन नक्सली के नाम से मुखबिरी और पुलिस के अत्याचार और दुर्भावना से हजारों आदिवासी छत्तीसगढ़ए महाराष्ट्रए उड़ीसाए तेलंगानाए झारखंड के जेलो में कई सालों से बंद है उन्हें रिहा कर पुनर्वास नीति का फायदा दिया जाए।
4. बस्तर में दुर्भाग्यपूर्ण तरीके से शासन के द्वारा चलाए गए “सलवा जुडूम” जिसे सुप्रीम कोर्ट ने गलत मानने के चलते 600 गांव वीरान हो गए। वहां के आदिवासी और निवासी प्रताड़ित हो कर तेलंगाना और आंध्र प्रदेश में पलायन कर गए है वहां वे लोग गरीबीए निर्वासितए प्रताड़ित और बिना पहचान के जीने के लिए मजबूर है। इसके लिए कई बार प्रधान मंत्रीए राष्ट्रपति और मुख्यमंत्री को निवेदन किए आज तक सकारात्मक पहल नहीं हुआ। प्रदेश के आदिवासी और निवासी को यथाशीघ्र वापस लाकर ससम्मान उनके गांव में बसाया जाए एवं उनके जमीन संपत्ति वापस दिया जाए।