पोलमी चेकपोस्ट : आबकारी विभाग की लापरवाही उजागर पंडरिया पोलमी चेकपोस्ट भ्रष्टाचार और खानापूर्ति का अड्डा

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पोलमी चेकपोस्ट : आबकारी विभाग की लापरवाही उजागर पंडरिया पोलमी चेकपोस्ट भ्रष्टाचार और खानापूर्ति का अड्डा
कवर्धा । शराब तस्करी रोकने के लिए आबकारी विभाग द्वारा प्रदेश की सीमाओं पर चेकपोस्ट बनाने का उद्देश्य पूरी तरह से विफल साबित हो रहा है। राज्य सरकार ने इन बैरियरों को इसलिए स्थापित किया था ताकि दूसरे राज्यों से होने वाले अवैध शराब परिवहन पर अंकुश लगाया जा सके, लेकिन वास्तविकता इसके विपरीत है।
पंडरिया विकासखंड के पोलमी में स्थापित बैरियर टूट चुका है। हालात यह हैं कि वहां पर दिन और रात की पाली में केवल दो-दो गार्ड तैनात किए जाते हैं। गार्डों के पास बैरियर न होने के कारण वाहन रोकने की कोई व्यवस्था ही नहीं है। ऐसे में शराब तस्करी को रोकना तो दूर, वाहन रोकने की औपचारिकता तक पूरी नहीं हो पा रही।
सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि पिछले सप्ताह पोलमी चेकपोस्ट पर तैनात गार्डों का एक वीडियो तेजी से वायरल हुआ, जिसमें वे खुलेआम पैसा वसूलते नजर आए। यह घटना न केवल विभाग की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े करती है बल्कि शासन की मंशा को भी धूमिल करती है।
योजना का मूल उद्देश्य शराब की तस्करी पर नकेल कसना था, लेकिन पोलमी जैसे चेकपोस्ट भ्रष्टाचार और खानापूर्ति का प्रतीक बनकर रह गए हैं। आबकारी विभाग की यह लापरवाही शराब माफियाओं के हौसले बुलंद कर रही है और प्रदेश की साख को नुकसान पहुँचा रही है।

विशेषज्ञों का कहना है कि जब तक कड़े प्रबंधन, तकनीकी साधन और जवाबदेही नहीं होगी, तब तक ये चेकपोस्ट महज़ दिखावा बनकर ही रहेंगे। अब सवाल यह है कि शासन कब कार्रवाई करेगा और कबीरधाम जैसे सीमावर्ती क्षेत्रों में तस्करी रोकने के लिए ठोस कदम उठाएगा।

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