छत्तीसगढ़ के खजुराहो कहे जाने वाले पावन भोरमदेव मंदिर परिसर में सोमवार को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ, कबीरधाम जिला के घोष विभाग द्वारा शंखनाद कार्यक्रम का भव्य आयोजन किया गया। इस सांस्कृतिक और आत्मबोधक आयोजन में कुल 24 घोष वादकों ने अपने घोष वादन की कला से जनमानस को मंत्रमुग्ध कर दिया।
कार्यक्रम के दौरान शंख, आनक, वेणु, ताल और प्रणव वाद्य यंत्रों के समन्वित वादन के साथ छह घोष रचनाएँ—किरण, उदय, श्रीराम, प्रयोग एक, प्रयोग दो आदि प्रस्तुत की गईं। इस अद्वितीय समवेत वादन ने वातावरण को ओज, उमंग और उत्साह से भर दिया।
जिला घोष प्रमुख मनहरण वरबे ने बताया कि शंखनाद कार्यक्रम का यह दूसरा वर्ष है। उन्होंने इसे केवल एक घोष प्रदर्शन न मानकर इसे वीरता, आत्मबल और समाज निर्माण की दिशा में संघ के शारीरिक, मानसिक और बौद्धिक प्रशिक्षण का आधार बताया। उन्होंने कहा कि घोष वादन “रणघोष” की भूमिका निभाता है, जो स्वयंसेवकों को आपदा, संघर्ष या सेवा कार्यों के लिए तैयार करता है।
कार्यक्रम में सह जिला कार्यवाह रवि वर्मा, दुर्ग विभाग शारीरिक शिक्षण प्रमुख, जिला शारीरिक शिक्षण प्रमुख बीरेलाल पटेल, सह जिला शारीरिक शिक्षण प्रमुख राजकुमार विश्वकर्मा, पूर्व घोष प्रमुख ललित ठाकुर, घोष वादक दल तथा बाल एवं ज्येष्ठ स्वयंसेवक बड़ी संख्या में उपस्थित रहे।
मंदिर परिसर में जनसामान्य ने भी इस अद्वितीय आयोजन को श्रद्धा और गर्व के साथ देखा और भावविभोर होकर तालियों की गूंज से अपनी सराहना प्रकट की।
यह जानकारी संजय धुर्वे, जिला प्रचार प्रमुख, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ, कबीरधाम द्वारा दी गई।


